HOW TO BE HAPPY IN OLD AGE
यह एक कड़वी सच्चाई हैं मगर सच्च तो यही हैं की हर कोई व्यक्ति जो जन्म लेता हैं उसे जीवन के हर पड़ाव को पार करना होता हैं, जीवन के सभी पड़ाव में से सबसे आखिरी पड़ाव हैं वो हैं बुढ़ापा। ऐसा सामान्यतः हर किसी को लगता हैं की बुढ़ापे को पार करना आसान नहीं होता हैं, जिसका मुख्य कारण यह होता हैं की बुढ़ापे में लोग शारीरिक रूप से इतने सक्षम नहीं होते हैं , जिससे बुढ़ापे में सब कुछ कर पाना आसान नहीं होता हैं।
जीवन एक चक्र की तरह होता हैं जिसमे जन्म से लेकर मृत्यु तक का सफर तय करना होता हैं। इस जीवन चक्र में वैसे तो जीवन के हर स्तर पर व्यक्ति को कई कठिनाईओ का सामना करना होता हैं लेकिन सबसे ज्यादा लोगो लगता हैं बुढ़ापे में कठिनाई ज्यादा रहती हैं। लेकिन कुछ का यह कहना होता हैं की बुढ़ापा ज़िंदगी का वो पड़ाव हैं जिसमे वो अपनी बची हुई ज़िंदगी अपने तरीके से जिए।
आज मैं यहाँ जिस विषय पर प्रकाश डालने जा रहा हूँ वो यह हैं की बुढ़ापे में ऐसा क्या करे या करना चाहिए जिससे बुढ़ापा भी वैसे ही जिए जैसे अब तक की ज़िंदगी जी हैं।
तो आइये जाने की बुढ़ापे में किन बातों और कौनसी गतिविधि करे जिससे उम्र का यह पड़ाव भी मौज़ मस्ती करते हुए गुजर जाये। और जिन लोगो को लगता हैं की बुढ़ापा एक श्राप हैं , इस मानसिकता को दूर कर बुढ़ापे को अपने ढंग से आनंदमय बनाये।
यहाँ कुछ बिन्दुओ के जरिये इसे जानते हैं :-
बुढ़ापा एक सच्चाई हैं : पहला यह की सबको इस बात का सदैव स्मरण रहे हैं की बुढ़ापा एक सच्चाई हैं जिसका सामना करना पड़ेगा। व्यक्ति इस बात को अगर अपने जहन में रख कर ज़िंदगी जीने लगे तो उसे बुढ़ापा आने पर वह उसका उपयोग कैसे करना हैं उसके लिए वो पहले से ही तैयार हो।
अकेलेपन को दूर करे : दूसरा यह की लोग बुढ़ापे से ज्यादा उन्हें बुढ़ापे के अकेलेपन से डर रहता हैं। किसी ने यह लाइन बहुत अच्छी लिखी हैं की "बुढ़ापा तो फिर भी कट जायेगा मगर अकेलापन नहीं कटता " इसके लिए आप अपने परिवार, समाज और मित्रो के साथ घुल मिलकर रहे जिससे कभी अकेलेपन का अहसास नहीं हो. एक शोध के अनुसार अकेले रहने वालो की मृत्यु दर घुल मिलकर रहने वालों से पांच गुना ज्यादा होती हैं।
योग एवं ध्यान लगाए : बुढ़ापा इसलिए श्राप लगता हैं की इस अवस्था में उनकी शारीरक एवं मानसिक शक्ति कमजोर होती हैं , इस हेतु बुढ़ापे में लोगों को ध्यान एवं योग को अपनाना चाइये। योग से शरीर स्वस्थ रहता है और ध्यान से मन शांत रहता हैं।
ईश्वर एवं धर्म का पालन करे : यदि जीवन में सुख शांति चाहिए तो सबसे आसान तरीका हैं की आप अपने ईश्वर व् अपने धर्म का अनुसरण कर आचरण करे जिससे मन शांत हो गतिशील रहेगा।
अपने आप को व्यस्त रखे : अक्सर बुढ़ापे में लोगो के पास कुछ करने को नहीं होता हैं जिससे वो बोरियत एवं अकेलापन महसूस करने लगते हैं। इसलिए खुद को व्यस्त रखे हेतु उन्हें कई प्रकार की गतिविधियों में भाग लेना चाहिए जिससे उनका मन खुश हो जाये।
जमा पूंजी बनाये रखे : अक्सर देखा गया हैं की सही वक़्त पर जमा पूंजी नहीं रखने पर दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं. बुढ़ापे में लोग आम जीवन की तरह काम करके पैसे नहीं कमा सकते हैं। इसलिए पूरी ज़िंदगी में बचत को महत्व दे जिससे जरुरत होने पर काम आ जाये।
निष्कर्ष : जो लोग अपने बुढ़ापे को सकारात्मक ढंग से लेते हैं वे इस पड़ाव को भी पार कर लेते हैं। मनुष्य को इस अपने जीवन को लेकर पहले से योजना बनाये एवं उनका समय पर मूल्यांकन करे। यदि वो ऐसा करते हैं तो उनका जीवन आनंद एवं खुशियों से भरा होगा। इसलिए हमे यह सदैव याद रखना हैं की समंदर जब उफान पर हो या शांत हो वह समंदर ही रहता हैं
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