भारत की इकोनॉमिक रफ्तार काफी तेज रहने के आसार हैं. एसएंडपी की फ्रेश रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है. साथ ही वित्त वर्ष 2026-27 में भारत की जीडीपी 7 अरब डॉलर पर आ सकती है. इसका मतलब है कि अगले कुछ सालों में भारत दुनिया के इकोनॉमिक प्लेटफॉर्म पर चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाएगा.
शुरुआत पहले मूडीज से करते हैं…
दुनिया की नामी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने चीन और उसके राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. मूडीज ने अपनी फ्रेश रिपोर्ट में चीन की इकोनॉमी को बड़ा झटका दिया है. मूडीज ने चीन के इकोनॉमिक आउटलुक को स्टेबल से नेगेटिव में ट्रांसफर कर दिया है. चीन पहले से ही अपनी गिरती इकोनॉमिक ग्रोथ को लेकर काफी परेशान है. साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर लगातार डूब रहा है. जिसके जल्द सुधरने के कोई आसार नहीं है. मूडीज ने चीन को ओवरऑल रेटिंग ए1 दी है. मूडीज ने इस बात अंदेशा जताया है कि चीन का प्रॉपर्टी सेक्टर पूरी इकोनॉमी के रेश्यो में 2021 के संपत्ति सुधार से पहले की तुलना में कम रहेगा. मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2024 और 2025 में 4 फीसदी रहने के आसार हैं. वहीं वित्त वर्ष 2026 से लेकर 2030 तक 3.8 फीसदी तक रह सकती है.
भारत होगा चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती
भारत की इकोनॉमिक रफ्तार काफी तेज रहने के आसार हैं. एसएंडपी की फ्रेश रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ीर इकोनॉमी बन सकता है. साथ ही वित्त वर्ष 2026—27 में भारत की जीडीपी 7 अरब डॉलर पर आ सकती है. इसका मतलब है कि अगले कुछ सालों में भारत दुनिया के इकोनॉमिक प्लेटफॉर्म पर चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाएगा. एसएंडपी का मानना है कि देश के लिए एक बड़ी परीक्षा विशाल अवसर का लाभ उठाकर खुद को अगला बड़ा ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बनाने की है.
कितनी रह सकती है भारत की जीडीपी
एसएंडपी की रिपोर्ट ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024: न्यू रिस्क, न्यू प्लेबुक में कहा गया है कि मार्च 2024 यानी चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. 2026 में इसके सात प्रतिशत पहुंचने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी. भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि जून और सितंबर तिमाही में क्रमशः 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत रही थी. एसएंडपी के अनुसार एक मजबूत लॉजिस्टिक्स ढांचा विकसित करना भारत को सेवा-प्रधान अर्थव्यवस्था से विनिर्माण-प्रमुख अर्थव्यवस्था में बदलने में महत्वपूर्ण होगा.
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