SEBI Bans Naked Short Selling : बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक सर्कुलर जारी कर कहा कि संस्थागत निवेशकों को पहले ही खुलासा करना होगा कि भारतीय प्रतिभूतियों में लेनदेन में शॉर्ट सेलिंग शामिल है या नहीं, जबकि रिटेल इन्वेस्टर को उस दिन के अंत तक जब कोई व्यापार किया जाता है तो बताना होगा ।
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सेबी ने यह भी कहा कि फ्यूचर और ऑप्शन (एफएंडओ) खंड में व्यापार करने वाले सभी स्टॉक शॉर्ट सेलिंग के लिए पात्र हैं। सेबी ने कहा, सभी निवेशकों को निपटान के समय प्रतिभूतियां वितरित करने के अपने दायित्व का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। सेबी ने कहा है कि बाजार में हर कैटगरी के निवेशकों को शॉर्ट-सेलिंग की इजाजत होगी लेकिन नेकेड शॉर्ट-सेलिंग निवेशक नहीं कर सकेंगे.
मौजूदा भारतीय नियम तथाकथित नेक्ड शॉर्ट ट्रेडों की अनुमति नहीं देते हैं, जहां एक निवेशक पहले से उधार लिए बिना या बेचे जाने वाले शेयरों या प्रतिभूतियों का पता लगाए बिना शॉर्ट बेचता है।
नेकेड शॉर्ट सेलिंग में शेयर को खरीदे बगैर या फिर ये कंफर्म किए बगैर कि शेयर को भविष्य में खरीदा जाएगा, शेयरों की शॉर्ट सेलिंग की जाती है. भारत में जनवरी 2023 में शॉर्ट सेलिंग चर्चा में आई थी. शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर शेयरों के भाव को अनैतिक तरीके से भगाने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट जारी किया. हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के स्टॉक में शॉर्ट सेलिंग की. जिसके बाद शेयर बाजार में लिस्टेड अडानी समूह की कंपनियों के स्टॉक्स में जोरदार गिरावट देखने को मिली थी.
क्या होती है शॉर्ट सेलिंग?
शॉर्ट सेलिंग शेयर बाजार में ट्रेडिंग का तरीका है. शॉर्ट सेलिंग के तहत कोई भी निवेशक ऊंचे भाव पर शेयर को बेचता है और शेयर के भाव के नीचे गिरने पर उसे वापस खरीद लेता है. जिस ऊंचे भाव पर शेयर बेचा गया और जिस नीचे के भाव पर शेयर खरीदा गया दोनों के बीच का जो अंतर है वो निवेशक का मुनाफा है. निवेशक केवल शेयर खरीदकर ही बाजार में मुनाफा नहीं बनाते हैं बल्कि शेयरों को खरीदे बिना उसे बेचकर भी मुनाफा बना सकते हैं और इसी को शॉर्ट सेलिंग कहा जाता है.
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