लोकसभा चुनाव से पहले सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का तोहफा दे दिया। दरअसल केंद्र की ओर से इस साल एक जनवरी से महंगाई भत्ता (DA) में 4% की वृद्धि कर इसे मौजूदा 46 प्रतिशत से बढ़ाकर मूल वेतन का 50 प्रतिशत कर दिया गया है। गत जनवरी से ही केंद्रीय कर्मचारी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे थे। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते व पेंशनभोगियों को मिलने वाली महंगाई राहत में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी का फैसला किया।
महंगाई भत्ते व राहत में बढ़ोतरी का यह फैसला इस साल एक जनवरी से मान्य होगा। सरकार के इस फैसले से 49.18 लाख केंद्रीय कर्मचारी तो 67.95 लाख पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा। महंगाई भत्ते में चार प्रतिशत की इस बढ़ोतरी से महंगाई भत्ता बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत हो जाएगा और इससे केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले हाउसिंग भत्ता और ग्रेच्युटी में भी बढ़ोतरी हो जाएगी। विभिन्न वर्गों को उनकी सैलरी के मुताबिक इसका लाभ मिलेगा।
ग्रेच्युटी अब 25 लाख हो जाएगी
इस फैसले की जानकारी देते हुए वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों की ग्रेच्युटी अब 20 लाख से बढ़कर 25 लाख हो जाएगी। अभी ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 20 लाख है। उन्होंने बताया कि सिर्फ चार प्रतिशत महंगाई भत्ते व महंगाई राहत में बढ़ोतरी से सरकार पर सालाना 12,868.72 करोड़ रुपए का वित्तीय भार आएगा। लेकिन अन्य विभिन्न प्रकार के भत्तों में होने वाली बढ़ोतरी से इस साल जनवरी से लेकर अगले साल फरवरी के बीच केंद्रीय कर्मचारियों को 9,400 करोड़ रुपए का लाभ अलग से मिलेगा।
DA, HRA बढ़ने के साथ मिलेंगे ये अतिरिक्त लाभ
डीए में बढ़ोतरी के साथ परिवहन भत्ता, कैंटीन भत्ता और प्रतिनियुक्ति भत्ता समेत अन्य भत्ते में 25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। मकान किराया भत्ता मूल वेतन के 27 प्रतिशत, 19 प्रतिशत और 9 प्रतिशत से बढ़ाकर क्रमश: 30 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 10 प्रतिशत कर दिया गया है। ग्रेच्युटी के तहत लाभ में मौजूदा 20 लाख रुपये से 25 लाख रुपये की बढ़ोतरी के साथ 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
सरकार का बढ़ेगा इतना खर्च
महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दोनों के कारण सरकारी खजाने पर संयुक्त प्रभाव 12,869 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होगा। वर्ष 2024-25 (जनवरी 2024 से फरवरी 2025) के दौरान 15,014 करोड़ रुपये का प्रभाव पड़ेगा। विभिन्न भत्तों में बढ़ोतरी से सरकारी खजाने पर सालाना 9,400 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
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